“गिल्लू”

29 मई 2020 गर्मियों का दिन था, परंतु इस साल बाकी वर्षों की तरह कड़कती धूप का एहसास कम ही था। मैं और मेरी छोटी बहन, हम दोनों आंगन में पेड़ की छांव के नीचे बैठे हुए थे... तभी अचानक हमारी नज़र एक नन्ही - सी जान पर जा अटकी, जो आम के पेड़ से नीचे उतरकर जमीन पर फुदक रही थी। वह नन्ही - सी जान और कोई नहीं....एक छोटी सी, प्यारी सी गिलहरी थी। वह फुदकती हुई इतनी सुंदर लग रही थी कि हम उसकी ओर खिंचे चले आए। अब हम तो ठहरे बच्चे... जो चीज अच्छी लगी बस उसे पाने की जिद्द...। उसे देखकर हमारे मन में उसे पकड़कर अपने पास रखने का ख्याल आया। बस और क्या...? हम उसे पकड़ने का इंतजाम करने लगे। हम दोनों ने हाथ में बाल्टी लिया और चुपके से हौले - हौले उसके पास गए, पर तब तक छोटी गिलहरी ने हमारे पैरों की आहट सुन ली थी इसलिए वह इधर - उधर भागने लगी, परंतु छोटी होने के कारण वह ज्यादा तेज नहीं भाग पा रही थी तो हमने उसे बाल्टी से ढक लिया। उसे पकड़ पाना इतना आसान नहीं था.... ज्यों - त्यों...